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शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

काश अपन दस साल नये माडल होते

पता नहीं कब छह महीने बीत गये। ये मत समझना मैंने आपको याद नहीं किया। जब-तब आप लोगों के संदेश देख लेता था और अपने पुराने लेख पढ़ लेता था। हकीकत में कहूं तो कुछ आलस, कुछ व्यस्तता और कुछ देश की बिजली ने हमें इस हालत में पहुंचा दिया। रात को जब भी साढ़े ग्यारह बजे के बाद लेपटाप पर बैठने का प्रयास किया तो लाइट चली जाती। सुबह तो भैया देर से उठकर फिर वहीं रोजाना की भागदौड़ शुरू हो जाती। कई बार सोचा अब बैठें-अब बैठें पर बैठ नहीं पाये।
एक पुरानी कहावत है, उठी पैंठ सात दिन बाद ही लगती है। मतलब साफ है, एक बार किसी काम से थोड़ा सा जी चुराया नहीं कि दोबार खोमचा जमाने में समय लग जाता है। खैर, छह महीने में बहुत कुछ हो गया। होली के बाद जन्माष्टमी, दीवाली निकल गयी। हमारी नगरी के दो-दो सितारे बुलंदी तक पहुंच गये। पहले हंसी के गुब्बारे मोहित बघेल ने कलर्स चैनल पर हंसाया तो अब जीटीवी के लिटिल चैम्प बने मथुरा के हेमंत ब्रजवासी। टीवी पर आज कल बहुत से रियलिटी शो शुरू हो गये हैं। पहले हंसाने और गाने वाले का सलेक्शन होता था अब तो शादी के लिये भी पब्लिक की राय ली जा रही है। हंसिये नहीं, किसी समय में व्यंग्यकार जिस कल्पना को अपनी हंसी का पात्र बनाते थे वही अब साकार हो गयी है। अपनी राखी बहनजी पहले शादी के लिये स्वयंवर कर रही थीं फिर बच्चे खिलाने की प्रैक्टिस भी शुरू कर दी। यह अलग बात है स्वयंवर के बाद भी उनकी शादी नहीं हुई। अब दूल्हा-दुल्हन का सलेक्शन स्टार प्लस चैनल पर चल रहा है। हो सकता है कोई शुरू कर दे द परफेक्ट सन या परफेक्ट पैरेंट। एक तरफ लड़के-लड़कियां होंगे तो दूसरी तरफ बुड्ढे। पब्लिक ओपेनियन के आधार पर हर महीने एक बाप और एक बेटे को शो से आउट किया जाएगा। आखिर में बचेंगे परफेक्ट पेरेंट्स। शो खत्म होने के बाद तथाकथित बेटा कह सकता है मैं अभी कुछ दिन बाद मां-बाप का सलेक्शन करूंगा। वैसे बेटों को भले ही न हो, मां-बाप को आज परफेक्ट सन की जरूरत जरूर है। मौका मिलेगा तो लोग दूसरे के बेटों पर हाथ साफ कर देंगे। पहले कहा जाता था अपने बेटे और दूसरों की पत्नी हमेंशा अच्छे लगते हैं। अब यह कहावत पुरानी हो चुकी है। बचपन में सभी को अपने बेटे अच्छे लगते हैं और बाद में दूसरों के। मां-बाप का भी सलेक्शन हो सकता है। उसमें सेटिंग की जरूरत होगी।
वैसे अपने जमाने में अगर रियलिटी शो होते तो अपन भी एक अदद पत्नी का सलेक्शन कर लेते। अब मौका हाथ से चला गया। काश अपन दस साल नये माडल होते।
पंकुल