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मंगलवार, 24 फ़रवरी 2009

बेतुकीः अगला आस्कर फिर ले आओ

भैये देश को पहली बार आस्कर मिला। ये मानो पहली बार इसकी पुरस्कार की जुगा़ड़ हुई। अपने आमिर भाई को पहले ही आस्कर मिल जाता पर उन्हें फिल्म बनाने का सलीका नहीं आया। अरे भाई अंग्रेजों के मात्र गेम में ही उन्हें गंवार हरा दें और वो तुम्हें आस्कर देंगे। लोग कह सकते हैं जिसने कभी मोहल्ला पुरस्कार भी नहीं देखा वह तो यही कहेगा। पर गुरू मुझे मालूम है आस्कर का यह रिकार्ड अपन तोड़ सकते हैं। एक फिलम बनाने की जरूरत है। अबकी फिलम बनानी होगी एक ही भूल। नाम कुछ और भी रखा जा सकता है पर कहानी होगी वर्तमान की और फ्लैश बैक में चलेगा 1947 से पहले का किस्सा। कहानी का उद्देश्य होगा अगर हम आजाद न होते तो देश कैसा होता। यहां स्लमडाग नजर नहीं आते। हर शहर में खूबसूरत इमारतें होती और देश में गरीबी कहीं नजर नहीं आती। फिर फ्लैश बैक शुरू होगा। ब्रिटिश अधिकारी आ रहे हैं और भारतीयों को काम करने का तरीका बता रहे हैं। जिसने काम नहीं किया उसको कोड़ा मारा। दिखाया जाएगा किस तरह से आतंकवादी बेचारे अंग्रेजों को परेशान कर रहे हैं। फिर अंग्रेजों को विकास का मसीहा बताया जाएगा।
फिलम के आखिर में कहा जाएगा अगर भारत आजाद न होता तो विश्व में उसकी जगह कहीं और होती। भारत विकासशील नहीं विकसित देश होता। फिलम में एक-दो गाने भी होंगे। जब ब्रिटिश अधिकारी भारत आ रहे हैं तो एक अच्छा गाना फिट हो सकता है। गाने के बोल नहीं लिख रहा हूं विवाद की वजह से पर कुछ उसका मकसद होगा, हे महानुभाव, आप आओ। आप हमारे भाग्य के विधाता हो। हम लोग आपको चरणों में अपना सर रखते हैं। एक गाना बाद में फिट हो सकता है जिसमें कहा जाएगा
अगर हम आजाद न होते तो अच्छा था
जमाने भर की खुशियां हमें मिल जाती
न कहीं गरीब नजर आते, न बेकार ही दिखते
विकास की नदियां कल-कल बहतीं।
अगर हम आजाद न होते तो अच्छा था।
गाने को आप लोग बढ़ाइये।
फिल्म की कहानी आपको पसंद आई कि नहीं। यह फिलम सच के बेहद करीब मानी जाएगी आस्कर में सब कुछ जीत लायेगी। आमिर भैया का भी सुझाव है, आस्कर जीतना है तो खुद को हारता हुआ दिखाओ। आखिर हम भारतीय हैं, दूसरों की जीत की खातिर हार भी सकते हैं। फिर अंग्रेज कहेंगे, जय हो, जय हो, जय हो।
पंकुल

बेतुकीः अब दूल्हा पिटेगा

एक बहुत पुराना गाना है, देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान कितना बदल गया इंसान। गीतकार ने नाहक ही भगवान को परेशान कर डाला। अरे जमाना कोई बूंदी का लड्डू थोड़े ही जो हमेशा एक जैसा नजर आयेगा। अरे पहले के लोगों ने जो नहीं किया वह हम भी नहीं करें। यह तो कोई तुक की बात नहीं। भैया पहले लोग लंगोट पहनते थे अब क्या पहनते हैं यह अंदर की बात है। पहले लोग खेत में लोटा लेकर जाते थे अब कमरे (अटैच लैट) में ही हल्के हो जाते हैं। भैया सबको बदलना पड़ता है।
पहले बेगानी शादी के दीवाने अब्दुल्लाओं की कोई कमी नहीं थी। किसी की शादी हो उन्हें घोड़े के सामने नाचना। जिसे देखो वह आज मेरे यार की शादी ठुमकने लगता, आज मेरे यार की शादी है, यार की शादी है मेरे दिलदार की शादी है। ऐसा लगता है जैसे सारे संसार की शादी है। भैया तमाम लोग यार की शादी में नाचने के लिये खुद कुंवारे ही रह गये। कोई नाचता, मेरा यार बना है दूल्हा और फूल खिले हैं दिलके, मेरी भी शादी हो जाए दुआ करो सब मिलके। भैया नाचता ही रह जइयो, कोई तेरी शादी की दुआ नहीं कर रहा।
भैये, ये नया जमाना है। यहां अकल से काम लेना पड़ता है। तभी तो सारे के सारे बाराती दूल्हे से ही पूछ रहे हैं,तैनो घोड़ी किसने चढ़ाया भूतनी के। तैनो दूल्हा किसने बनाया भूतनी के। नाचते-नाचते भाई मेरे खुद ही दूल्हे को मारने का प्लान बना लेते हैं। बारात में तो कोई बात नहीं, घर की बात है। भैये, लड़की के दरवाजे पर डीजे तोड़ डांस करते हैं और दूल्हे से ही पूछते हैं भैया कल तक तू नंगा था, ये सूट-बूट क्या किराये पर ले आया। दूल्हा बेचार खींसे निपोरते हुए सब कुछ सह लेता है। कभी-कभी ऐसा लगता है कोई डीजे से कूद कर सीधे स्टेज पर न पहुंच जाए और दूल्हे का सूट ही खींच ले।
भैये दूल्हे की धुलाई करते हैं और जमकर खा-पीकर चले जाते हैं। बताओ जमाना बदला कि नहीं। अरे दुल्हन एक लाये और बाकी उसे यार बतायें कहां का इंसाफ था। अब कम से कम अपने मन की भड़ास तो निकला ही लेते हैं। एक और गाना कभी अपने सांसद राजबब्बर ने गाया था, दूल्हा बिकता है बोलो खरीदोगे। अब कोई गायेगा, दूल्हा पिटता है वोलो पीटोगे।
पंकुल