भैये उडन तस्तरी। आपने पुरानी कहावत सुनी है, जो बोले सो कुंडी खोले। अरे पार्टी कार्यालय की कोई समस्या नहीं है इसे आपके यहां बना देंगे। ऐसा भी हो सकता है अपनी पार्टी का कारपोरेट कार्यालय आपके घर बन जाए। आप सोच रहे होगे, कारपोरेट कार्यालय की क्या जरूरत है। भैये समझाये देते हैं, दास जी आज के जमाने के पालिटीशियन है। हर काम का दाम फिक्स है।
जब दास जी की सरकार बन जाएगी तो काम कराने के ठेके इसी कारपोरेट आफिस से लिये जाएंगे। पुराने पालिटीशियन खामखा स्विस बैंक में पैसा जमा करके बदनाम हुए। उनकी भी कोई कमी नहीं थी। बेचारों पर इतना पैसा कहां था जो ज्यादा जमा करते। हजार-पांच सौ करोड़ से होता ही क्या है। दास जी ने फैसला किया है कि सभी मंत्रियों के पैसे लेकर एक अपना बैंक खोलेंगे।बैंक का हैड आफिस भी इसी कारपोरेट आफिस में होगा। और भैये आप तो बैंक के डायरेक्टर हो गये। इसके अलावा भी जो पद चाहोगे दे देंगे, पर प्रधानमंत्री की ओर आंख भी मत उठाना। वो पद दास जी के लिये रिजर्व है। इसमें न नम्बर गेम है और न ही मनी गेम।घबराइये नहीं, दास जी के यहां देशी-विदेशी का मुद्दा नहीं है। आप अपने आस-पास के लोगों को इस पार्टी फंड से जोड़ सकते हैं। आगे जो सड़क, पुल के ठेके दिये जाएंगे उसमें सब कुछ एडजस्ट हो जाएगा। जो कुछ नहीं बनाता उसको कंसलटेंसी एजेंसी के नाम पर समझ लिया जाएगा। आप कहोगे तो ताऊ-बाऊ को भी फिट कर लिया जाएगा।
दास जी गांधी वादी हैं। ईश्वर अल्लाह तेरे नाम। दास जी ने इसमें जोड़ा है अमेरिका हो या हिन्दुस्तान, सबका कमीशन दे भगवान। महामंत्री जी, आप नाम से ही महामंत्री ठहरे। पर ध्यान रखना, पदांवटन से लेकर कुर्सी आवंटन तक बिना पैसे के नहीं चलेगा। हमने यह प्रेक्टिकल अपने यहां कर रखा है। जितना बड़ा पद, उतनी मोटी दक्षणा। ब्रीफकेश के साइज पर पद का साइज डिपेंड करेगा। इसके लिये दास जी ने महीने में एक बार अपना बर्थडे मनाने का फैसला किया है। अरे यार, बिना किसी कारण आपको देने में शर्म आ सकती है। पैसा सीधे समीर भाई के कारपोरेट आफिस में ही जमा करा दें। दरअसल दास जी पैसे को हाथ नहीं लगाते। खैर आप लोगों को पार्टी का पद पैसा ट्रांसफर वाले दिन से मान्य होगा। धन्यवाद। जय भ्रष्टाचार, जय कमीशन। पार्टी का एजेंडा भाई भतीजावाद, जातिवाद, नस्लवाद। जिस वाद से मिले वोट वही स्वीकार्य।
पंकुल
pankul

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3 टिप्पणियां:
बिलकुल सही कहा आपने आपके विचारों से बिल्कुस सहमत हूँ लेकिन इस बुराई को हटाने का पंगा ले कौन?
पंकज भाई आपने दाईं तरफ जो भूमिक बाँधी है वो भी रोचक है और आपके विचारों को पढ़कर मैं बहुत ही प्रभावित हुआ हूँ आपका चिंतन अगर जन-जन का चिंतन हो जाए तो एक बुलंद भारत की स्थापना होने में तनिक भी देरी नहीं लगेगी।
पैसा सीधे समीर भाई के कारपोरेट आफिस में ही जमा करा दें।
--इसी बात ने तो पूरा मंच जीत लिया भाई-अब तो प्रधान मंत्री पर नजर गड़ाने की जरुरत ही क्या बची!!
बेहतरीन!! वैसे इस बहाने एक सार्थक चिन्तन हुआ है-नो बेतुकी बात!!
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