दोस्तों, फोकटियों का मेला शुरू हो गया। अब न रहेगी मंदी और न नजर आयेगी बेरोजगारी। रोजाना दारू पी जाएगी और धड़ल्ले से बेरोजगारी दूर की जाएगी। वो तो आयोग विलेन बन गया वर्ना भाई लोगों के पास बांटने के लिये बहुत धन है। अरे पांच साल तक कमीशन यूं ही थोड़े ही खाया जाता है। कमीशन का बड़ा हिस्सा तो चुनाव में ही खर्च हो जाता है। भाई लोगों के दो नम्बर के धन से अगर किसी की दो-चार दिन चांदी हो रही है तो उसमें टांग नहीं अड़ानी चाहिए।
खैर ये बात तो उनकी है जो फोकटिये हैं। अपुन के दास जी के पास आज कल बिल्कुल फुर्सत नहीं है। सुबह से रात और रात से सुबह हो रही है। किसी ने पहला मोर्चा बनाया तो किसी ने दूसरा। अब पता नहीं पहला कौन है और दूसरा कौन। पर तीसरा मोर्चा बिल्कुल स्पष्ट है। जो एक दूजे के नहीं वो तीसरे के हैं। कई ऐसे भी हैं जो चौथे-पांचवें और छठे मोर्चे के होंगे। दास जी ने भी 1001 (एक हजार एक) वां मोर्चा बनाया है। भैया चौंकिये मत, दास जी तो गुंजाइश से ही काम करते हैं। पहले सब लोग एक -एक सीट वाले मोर्चा बनायें। उसके बाद भी कुछ बचें तो दो -तीन सौ मोर्चे बना लें। हम तो शगुन से चलते हैं। 1000 पर एक। पहले के 1000 मोर्चे बनने की गुंजाइश आपको नहीं लगती लेकिन दास जी लगती है। अरे एक-एक सीट पर चुनाव लड़ने वाले मोर्चा बनायें तो 545 मोर्चे बन जाएंगे। इसमें भी 455 सीटों पर फ्रेंडली फाइट हो सकती है। जब साइकिल वाले और हाथ वाले साथ-साथ चलकर भी दूर-दूर हो सकते हैं तो एक सीट वाले फ्रेंडली क्यों नहीं हो सकते। लड़ेंगे साथ और प्यार करेंगे साथ। एक पुराना गाना याद आता है,
हम ही से मोहब्बत
हम ही से लड़ाई
अरे मार डाला
दुहाई-दुहाई।
तीसरे मोर्चे वालों की कहानी तो और भी हिट है। तुम अपने घर में चौका करके आओ, हम अपने घर से रोटी बनाकर लायेंगे। बाद में साथ-साथ बैठकर खायेंगे। रोटियां कम पड़ीं तो पहले या दूसरे के घर पर खा आयेंगे। जो जितनी रोटियां सेक कर लायेगा उसे ही ताज पहना देंगे।
छोड़ों,हमें इन लोगों से क्या लेना-देना। अपन दास जी के मोर्चे की बात करते हैं। यहां किसी तरह का कोई डिस्प्यूट नहीं है। प्रधानमंत्री पद के दावेदार दास जी हो गये। चुनाव लड़ने के लिये सभी सीटें खाली पड़ी हैं जो चाहे टिकट ले जाए। समझौते में दास जी को एक भी सीट नहीं चाहिये। दास जी को चुनाव थोड़े ही लड़ना है। एक और महत्वपूर्ण बात। जरूरी नहीं चुनाव से पहले मोर्चा बने। चुनाव के बाद जीतने वाले दास जी के मोर्चे में शामिल हो सकते हैं। उनके मोर्चे के दरवाजे सभी के लिये खुले हैं। यहां साम्प्रदायिक, कम्युनिस्ट, कांग्रेस, गैर कांग्रेसी, समाजवादी, गैर समाजवादी, हार्ड कोर, साफ्ट कोर किसी से परहेज नहीं है। दास जी को सिर्फ सरकार बनानी है। दास जी अगर चुनाव लड़े तो यह सारे काम कैसे करेंगे। चुनाव के बाद अगर छह महीने से ज्यादा सरकार चली तो देखेंगे कोई जुगाड़।
रही बात पार्टी के एजेंडे की। यह बाद में बना लिया जाएगा। पार्टी की रीति, नीति बनाने के लिये दास जी कमेटी का गठन कर रहे हैं। इन सभी कमेटियों के अध्यक्ष दास जी ही हैं। पार्टी की सदस्यता के सभी दरवाजे खुले हैं। मोटा चंदा देने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। खास बात ये है कि सिर्फ चंदे की मोटाई देखी जाएगी, कहां स आया यह बात गौण है। पार्टी के सदस्य आप भी बन सकते हैं। आप चाहें तो चुनाव लड़ें टिकट पार्टी कार्यालय से प्राप्त की जा सकती हैं।
पंकुल
pankul

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3 टिप्पणियां:
पार्टी कार्यालय का पता तो दो भई!!
पंकज जी,
बहुत कमाल लिखा है ...यह व्यंग बाण तो काफी तेज़ है ...आपने देश में चल रही गठबंधन की राजनीति की अच्छी पोल खोली है !!!!!!!!!!
क्या हमें भी इस खेल में इन्ट्री मिलेगी?
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