एक बहुत पुराना गाना है, रास्ते का पत्थर किस्मत ने मुझे बनाया। अपने धरम पाजी बड़े सेड-सेड मूड में यह गाना गा रहे थे। आज उसी तर्ज पर अपना चीकू भी कुछ सेड मूड में किकिया रहा था। अरे चीकू, वही मोहल्ले का सबसे सीधी पूंछ वाला कुत्ता। आते-जाते हर कोई उसके लात मारकर चला जाता है और वो घुर्र करके, पूंछ दबाकर घिसक लेता है। मोहल्ले के तमाम कुत्ते उसकी इसी हरकत से परेशान हैं। सबसे ऊंची पूंछ के कद्दावर मोती ने कई बार कहा भाई थोड़ा ब्रेब बनो। यों धरम पाजी की मुद्रा में मत बैठो। पाजी तो एक बही फिलम में यह गाना गाकर लाखों कमा गये, तू अपनी इज्जत क्यों गंवा रहा है। वैसे भी पाजी अपने रोल माडल नहीं हैं। पाजी ने जाने कितनी फिल्मों में हमारा खून पिया। उन्हें कोई और तो मिलता नहीं, बस यही कहते रहते हैं कुत्ते मैं तेरा खून पी जाऊंगा। हम कुत्ते न हुए कोल्ड ड्रिंक की बोतल हो गये।
खैर अपना और धरम पाजी का अलग मामला है। वो ठहरे स्टार और अपन रहे जमीन से जुड़े। पर यह मत समझना हमारे यहां स्टार नहीं होते। अपनी रीनी, वही शमार्जी वाली रीनी। बड़ी अच्छी किसम्त है उसकी। गाड़ी में घूमती है, बढ़िया-बढ़िया खाना खाती है। गोदी में टहलती है और अच्छे-अच्छे कपड़े पहनती है। खूबसूरत इतनी कि पूरा मोहल्ला उसे देखने को लालायित रहता है। कई बार तो पड़ोस के मोहल्ले के कुत्ते भी हमारे मोहल्ले में आ जाते हैं।
शर्माजी रीनी पर जान छिड़कते हैं। मजाल है रीनी जरा सा चोट पहुंच जाए। दो नौकर तो रीनी के लिये ही दौड़धूप करते हैं। कुत्ते, गाय, बंदर कोई भी उससे छेड़खानी नहीं कर सकते। शर्मा जी के बाबा ने घर के पिछवाड़े गाय के लिये जो कोठरी बनवाई थी अब उसी में रीनी की देखभाल करने वाले नौकर रहते हैं। रीनी के रहने के लिये शर्माजी का कमरा है। गाय पालने की फुर्सत अब शर्मा जी को कहां। कौन गोबर की दुर्गन्ध झेले। भैये जैसी किस्मत रीनी की है वैसी सबकी हो जाए। रीनी की तरह हम भी दूसरे देशों में जाकर घरों के अंदर रहकर नाम कमायें। अपन तो भगवान, अगले जनम कुत्ते ही बनें। जो आज रास्ते के कुत्ते हैं उनकी भी लाटरी एक-आध जनम बाद तो खुल ही जाएगी। अब सड़कों पर कुत्ते नहीं गाय रहेंगी।
पंकुल
pankul

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