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रविवार, 2 नवंबर 2008

मैं कुत्ता(4)ः तरक्की के लिये टांग खिंचाई जरूरी


ये बात मुझसे बेहतर कौन जानता है कि कुत्ता आखिर कुत्ता ही होता है। हम लोगों को कुत्ता इसीलिये कहा जाता है क्योंकि हमारी कोई औकात नहीं होती। हमारी औकात नहीं होती इसलिये हम दूसरों की औकात को परखने की कोशिश करते हैं। हमारा यही सगुण आज मानव जाति के उत्थान का कारण बनता जा रहा है। सही मायनों में हमने लोगों को दिशा और दशा दिखायी है। समाज के पथ प्रदर्शक हम ही हैं। हम लोगों को कुत्ता खिंचाई जिसे आपके यहां टांग खिंचाई भी कहते हैं का प्रचलन प्राचीन काल से है। इस प्रथा का अनुसरण करने से आप लोग तरक्की कर रहे हैं।
हमारे सामने से रात को कोई भी आदमी ऐसा नहीं निकलता जिसका हम पीछा न करते हों। पैदल से लेकर कार वाले तक का हम अपनी सीमा के बाहर तक पीछा करते हैं। कई बार लोग स्कूटर पर टांग ऊंची करके हमसे बचने का प्रयास करते हैं। बड़े-बड़े धुरंधर रास्ता बदलकर चुपचाप निकल जाते हैं। रात के अंधेरे में लोगों को पता ही नहीं चलता हम कहां से निकलकर उनका पीछा करने लगते हैं। हमारी शिकारी अदा के अच्छे-अच्छे कायल हैं। असली आनंद तो तभी आता है जब लोग मोटर साइकिल और स्कूटरों की स्पीड दुगनी कर देते हैं। तुम्हारी कसम कई लोगों को तो मैंने ही गाड़ी से लुढ़कते देखा है। गाड़ी रुकने के बाद हमारा कोई विवाद नहीं होता। हम यह पीछा सिर्फ इसलिये करते हैं जिससे लोगों को आपनी औकात का पता चल जाए। पीछा करने से हमें आत्मिक सुकून भी मिलता है। अब आप लोग भी इसका अनुसरण करने लगे हो यह अच्छी बात है। सरकारी ठेके से लेकर बड़े-बड़े कामों तक इसी विद्या से काम चल रहा है। नैनो में सपना लेकर आने वालों के लिये आपके दिल में भी हमारी तरह कोई मोह-ममता नहीं है। कोई धुरंधर आये पर टाटा करके जाना ही पड़ेगा। तमाम ऐसे लोग हैं जिनकी ओर से लोगों ने गुजरना ही बंद कर दिया है। आपको हमारी इस विद्या से आर्थिक संतुष्टि होती है। बड़े-बड़े फक्कड़ इस कुत्ता परेड के चक्कर में शानदार गाड़ियों में घूमने लगे। अब हम उनकी गाड़ी का पीछा कर रहे हैं और वो अपने से बड़ी गाड़ियों को खोज रहे हैं।
यह कुत्ता परेड डर पैदा करने के लिए की जाती है। कई बार जाड़ों में हम चुपचाप पेट में सिर छिपाये बैठे रहते हैं और उधर से गुजरने वाले बिना पीछा किये ही टांग उठा लेते हैं। ऐसा नहीं लोगों को यह भी मालूम है कि जो भौंकते हैं वो काटते नहीं फिर भी हमारा डर उन्हें डराता रहता है। आपके यहां भाई लोगों ने भी इसी थ्योरी पर काम करना शुरू कर दिया है। एक बार किसी को चौराहे पर दो थप्पड़ जड़े फिर वह हमेशा वह उन्हीं के नाम की माला जपने लगता है। कुछ कुत्ते रात को चुपचाप एक कोने में पड़े रहते हैं। ऐसे कुत्तों ने पूरे समाज की नाक कटवा दी है। कभी कोई गाड़ी वाला उनकी टांग पर पहिया चढ़ा जाए या कभी कोई बच्चा लात मार जाए वह सिर्फ कूं-कूं कर सकते हैं। ऐसे कुछ मनुष्य भी हैं लेकिन उन्हें कोई पूछ ही नहीं रहा।(क्रमश)
पंकुल