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मंगलवार, 24 फ़रवरी 2009

बेतुकीः अब दूल्हा पिटेगा

एक बहुत पुराना गाना है, देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान कितना बदल गया इंसान। गीतकार ने नाहक ही भगवान को परेशान कर डाला। अरे जमाना कोई बूंदी का लड्डू थोड़े ही जो हमेशा एक जैसा नजर आयेगा। अरे पहले के लोगों ने जो नहीं किया वह हम भी नहीं करें। यह तो कोई तुक की बात नहीं। भैया पहले लोग लंगोट पहनते थे अब क्या पहनते हैं यह अंदर की बात है। पहले लोग खेत में लोटा लेकर जाते थे अब कमरे (अटैच लैट) में ही हल्के हो जाते हैं। भैया सबको बदलना पड़ता है।
पहले बेगानी शादी के दीवाने अब्दुल्लाओं की कोई कमी नहीं थी। किसी की शादी हो उन्हें घोड़े के सामने नाचना। जिसे देखो वह आज मेरे यार की शादी ठुमकने लगता, आज मेरे यार की शादी है, यार की शादी है मेरे दिलदार की शादी है। ऐसा लगता है जैसे सारे संसार की शादी है। भैया तमाम लोग यार की शादी में नाचने के लिये खुद कुंवारे ही रह गये। कोई नाचता, मेरा यार बना है दूल्हा और फूल खिले हैं दिलके, मेरी भी शादी हो जाए दुआ करो सब मिलके। भैया नाचता ही रह जइयो, कोई तेरी शादी की दुआ नहीं कर रहा।
भैये, ये नया जमाना है। यहां अकल से काम लेना पड़ता है। तभी तो सारे के सारे बाराती दूल्हे से ही पूछ रहे हैं,तैनो घोड़ी किसने चढ़ाया भूतनी के। तैनो दूल्हा किसने बनाया भूतनी के। नाचते-नाचते भाई मेरे खुद ही दूल्हे को मारने का प्लान बना लेते हैं। बारात में तो कोई बात नहीं, घर की बात है। भैये, लड़की के दरवाजे पर डीजे तोड़ डांस करते हैं और दूल्हे से ही पूछते हैं भैया कल तक तू नंगा था, ये सूट-बूट क्या किराये पर ले आया। दूल्हा बेचार खींसे निपोरते हुए सब कुछ सह लेता है। कभी-कभी ऐसा लगता है कोई डीजे से कूद कर सीधे स्टेज पर न पहुंच जाए और दूल्हे का सूट ही खींच ले।
भैये दूल्हे की धुलाई करते हैं और जमकर खा-पीकर चले जाते हैं। बताओ जमाना बदला कि नहीं। अरे दुल्हन एक लाये और बाकी उसे यार बतायें कहां का इंसाफ था। अब कम से कम अपने मन की भड़ास तो निकला ही लेते हैं। एक और गाना कभी अपने सांसद राजबब्बर ने गाया था, दूल्हा बिकता है बोलो खरीदोगे। अब कोई गायेगा, दूल्हा पिटता है वोलो पीटोगे।
पंकुल

1 टिप्पणी:

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

हुज़ूर, दूल्हा तो बहुत दिनों से पिट रहा है.