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गुरुवार, 24 जुलाई 2008

मेरी पुरानी कविताएं
ये कविताएं मैंने लगभग 20 साल पहले लिखी थीं। आज कुछ कविताएं यहां लिखने का मन हुआ तो लिख दीं। बीस साल के अंतर के बावजूद आज भी यह कविताएं प्रासंगिक हैं।

मुर्दे का इनकार
हमारे पड़ोसी स्वर्ग सिधार गये
पर हमें मुसीबत में डाल गये
जाड़े के मौसम में
शाम को शमशान जाना था
ऊपर से तुर्रा ये
हमें ही सारा काम निपटाना था
हमने उन्हें ढोने की योजना बनायी
बगैर कमीशन के गाड़ी मंगवाई
शमशान पहुंचकर उन्हें शुद्ध घी में लपेटा
फिर चंदन पर फेंका
पर ज्यों ही आग लगायी
उठ खड़े हो गये मुर्दा भाई
जलने से इनकार कर दिया
बोले तुमने बिना कमीशन गाड़ी मंगवाई
हम कुछ नहीं बोले
तुमने शुद्ध घी बिखेरा
हमने कुछ न कहा
पर, जब चंदन का बना बिछोना
मेरा मन न माना
इस जमाने में वह भला
इतनी शुद्धता कैसे सहता।

पंकज कुलश्रेष्ठ
नेता
वो देखकर मेरी तरफ
मुस्कराया बेहिचक
खादी लिपटे हाथों को जोड़ते हुए बोला
आप मेरे अन्नदाता
हमारी ही पार्टी को वोट डालना
मेरे नादान मन ने किया प्रश्न
कौन सी पार्टी श्रीमन्
बोला वो संगमरमर का बुत
अब जिसमें हैं हम
पहले वाली में दम घुटता था
साक्षात् यम लोक का माहौल था
मेरे नादान मन ने फिर टोका
महाशय, पहले यहां नरक था
साक्षात यम ने किया शंका समधान
आपका सशंकित होना व्यर्थ है श्रीमन्
इसकी चिंता हम पर छोड़िये
हम जहां होंगे वही स्वर्ग है
फिर खींसे निपोरता वह झूठ का पिटारा
कहीं और, किसी और को
समझाने अपनी औकात
हो गया अदृश्य वो नेता।

पंकज कुलश्रेष्ठ

कुत्ता फरार है
हमारे पड़ोसी का कुत्ता खो गया
सारे मौहल्ले में बावेला हो गया
अकड़ू-मकड़ू सभी आये
अपनी-अपनी व्यथा सुनाये
बात-बात में समय कट गया
बस एक प्रश्न अटक गया
कुत्ता खोया, या भागा है
सभ्य था या आवारा है
जब तक इन प्रश्नों के उत्तर न सूझे
कौन भला कुत्ते को ढूढे
तभी नजर आये रगड़ू जी
हमने कहा समस्या हल हो गयी सबरी
यही बूझेंगे सभी प्रश्नों के उत्तर
बैठा दो रगड़ू आयोग पुत्तर
एक माह बात रगड़ू आये
साथ में मोटी पोथी लाये
पूरी का बस सार यही था
कुत्ता खो गया है
वह भाग भी सकता है
वह सभ्य था
थोड़ा आवारा भी हो सकता है
उसी दिन नाले की सफाई में
एक सड़ी गली लाश मिली
जिसकी एक-एक निशानी बता रही थी
यह वही कुत्ता है
पर रपट के अंत में यही लिखा था
कुत्ता फरार है।

पंकज कुलश्रेष्ठ

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

abe aur bhi koi tumhari phooti kavita padta hai ki nahin??koi tippani tak nahin hai hamare siwa.
Any way.....lage raho lage raho,kabhi to harwansh rai bacchan ki atma sharmaigi.
Best wishes

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन...वाह!