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शनिवार, 19 जुलाई 2008

बेतुकीः पुलिस करा सकती है डिलीवरी

नमस्तेब्लागरों के परिवार में मेरा स्वागत है। अरे भाई आप लोग मेरा स्वागत नहीं कर रहे तो मैं खुद ही अपना स्वागत कर लेता हूं। अभी तक आपके सामने जो कुछ भी पहुंचा वो प्रैिक्टस करते करते ही चला गया। असली बकवास तो अब लिख रहा हूं। आशा है इस बकवास के आप आदी हो जायेंगे। चलो अब पढ़ भी लो।
एक ख़बर - प्रदेश सरकार रात में डिलीवरी पर ग्रामीण डाक्टरों को देगी ईनाम।
....भाई मेरे सरकार के पास आखिर पैसा ही कितना है जो डाक्टरों को ईनाम देगी। सरकार ने अपने देव स्वरूप, हृदय सम्राट डाक्टरों को क्या भूखा-नंगा समझ रखा है। अरे सरकारी हुए तो क्या अच्छे-अच्छों से ज्यादा हैं। एक भी आपरेशन किसी नसिंग होम में कर दिया तो हो गये बारे-न्यारे। जब अपनी दुकान पर बैठते हैं तो दो-चार घंटे में ही हफ्ते भर की तनख्वाह निकाल लेते हैं। दवा वाले जो भेंट पूजा कर दें वो ब्याज समझो। सरकार रात में काम करने पर ईनाम देने की बात कर रही है, यहां दिन में भी काम करने के पैसे नहीं चाहिए। अरे, वो बेचारे तो धर्मार्थ सेवा में भी जुगाड़ से नहीं चूकते। नौकरी एक शहर में करते हैं और रहते सौ-दो सौ मील दूर हैं। सरकार को शर्म आनी चाहिए लालच देने के लिये। अरे खैरात के लिये काम क्यों करें।
प्राइवेट डाक्टरी करते-करते ये हालत हो गयी है कि मुर्दे से भी पैसा वसूल लें। अगर सरकार को ईनाम देना ही है तो बिना काम के ईनाम देकर दिखाये। ईनाम भी घर पहुंचना चाहिये। किसी डाक्टर पर इतनी फुर्सत नहीं कि ईनाम के लिये लाइन में खड़ा हो। वैसे सरकार को ये फैसला करने से पहले कई बार सोचना था। ये कदम सरासर देश की आबादी बढ़ाने वाला है। भैया मेरे गरीबों को आखिर जीने का हक किसने दे दिया। इन्हें जनसंख्या बढ़ाने का अधिकार कतई नहीं दिया जाना चाहिए। सरकार खुद ही जनसंख्या बढ़ाने के फेर में है। जितनी आबादी, उतना मुनाफा।सरकार को अगर गरीब महिलाओं का इतना ही ख्याल है तो डिलीवरी का जिम्मा पुलिस को दिया जा सकता है।
यह ईनाम भी पुलिस के लिये मुकर्रर किया जा सकता है। पुलिस के लिये एक शर्त भी लगाई जा सकती है कि डिलीवरी घर पर ही करायी जाये। भैये पुलिस का डंडा जब चलेगा तो बच्चे को छोड़ो उसका भी बच्चा खुद चला आयेगा। सरकार का काम भी हो जायेगा और पुलिस वालों को भी काम मिल जायेगा। इसी लिये दास जी ने कहा हैः-जहां काम आये डंडा वहां काम न करे सुई।
पंकुल

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

bahut khoob pankaj ji.Its my first experience to read this here on net.We really miss this here in news paper.Keep it up.

शोभा ने कहा…

बढ़िया लिखा है। अच्छा लगा पढ़कर। आपका स्वागत है।

Udan Tashtari ने कहा…

आपका स्वागत है.. अब नियमित लिखें. शुभकामनाऐँ.
कृपा वर्ड वेरिफिकेशन हटा लेवे.. टिप्पणी देने में सुविधा होगी