गिर गये भैये। बड़े-बड़े तीरंदाज धराशायी हो गये। गये थे क्रिकेटवा खेलने पर मैदान में नाचने लगे। अपने छुटके ने एसी तड़ी लगायी कि धूल फांकते नजर आये। लोग इसे हार कह सकते हैं लेकिन हम हार कर भी जीत गये। अपन तो गिरे हुए हैं तो गिर-गिर कर ही अपनी औकात पर आ जाते हैं। वैसे छोटे भाइयों को ये हमारी तरफ से गिफ्ट है। जाओ जीतो और जाकर दुनिया में नाम कमाओ। छोटों को भी भला कोई हराता है। खेल में हार-जीत का भला कोई महत्व होता है। हम हमेशा जीतेंगे तो हारेगा कौन। हारने वाले से महान दुनिया में कई नहीं होता। अरे सुना नहीं, जो गिरा वही सिकंदर।
हमने तो गिरने की कसम खा रखी है। अपने दूसरे छोटे भाई के सामने चौबीस घंटे गिरे रहते हैं। भैया मेरा जब चाहे तब हमारे घर में घुसकर चांटा मारता है और हम खींसे निपोरते हैं। बड़े भाई का फर्ज अदा करते हुए बंदर की घुड़की दिखा देते हैं। अगली बार बदतमीजी की तो समझ, बुरी तरह पिटाई होगी। छोटा भाई बार-बार गलती करे और हम बार-बार वही घुड़की दिखायें इसी में तो जिन्दगी का मजा है। पहले छोटा भाई कभी-कभी थप्पड़ दिखाता था, अब रोजाना घूंसे जड़ रहा है।
हम तो हमेशा से गांधीवादी रहे हैं। मुन्ना भैया वाले नहीं। जब सामने वाले पर जोर नहीं चले तो चुपचाप एक के बाद दूसरा गाल आगे करते जाओ। चांटे खाओ, और मुस्कराओ। हम तो बस यही याद करते रहते हैं, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है। हमारे टूटने, गिरने की कोई सीमा नहीं है। भाई मेरा मारते-मारते थक जाए तो अलग बात है। घर के अंदर आये मेहमान से हम कुछ नहीं कह सकते। अरे हमारे यहां तो दुश्मन को भी घर में दुलार के साथ बैठाया जाता है। भाई आखिर भाई है। मेहमान भगवान है। ये अलग बात है कि ये भगवान यमराज के रूप में ही आता है। हम तो बस यही कहेंगे, तुम अगर हमको न चाहो तो कोई बात नहीं....
पंकुल
pankul
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रविवार, 27 जुलाई 2008
बेतुकीः अपन तो वैसे ही गिरे हैं
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1 टिप्पणी:
bahut badhiya ji lo apne yaad kiya or mai aa gaya. ha ha ha.
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