हम कुत्तों को वफादारी विरासत में मिली थी। मैं सतयुग से देख रहा हूं, कुत्ते आदमी तो आदमी, बिल्ली-बिलौटों तक के प्रति वफादार रहे हैं। जिस घर में कुत्ते-बिल्ली साथ-साथ रहते हैं वहां हमारी वफा का आंकलन किया जा सकता है। पहले तुम इंसानों ने भी हमसे वफादारी सीखी थी। अब हालात बिगड़ते जा रहे हैं। आप लोगों की तरह अब कुत्तों का भी भरोसा करना मुश्किल होता है। कई बार ऐसा होता है जब कुत्ता आपके पांव चाटते-चाटते ही पैर में काट लेता है। आप उसे रोटी खिलायें और वो गुर्रा कर भाग जाए। ऐसा भी नामुमिकन नहीं कि वही कुत्ता आपके घर के बाहर भौंकना ही छोड़ दे। और तो और ये भी हो सकता है कि चोर उचक्कों को भौंक-भौंक कर आपके घर के अंदर ही छोड़ आये। इसे हमारे यहां इंसानी फितरत कहते हैं। आप लोगों में तो पता नहीं कब कौन आपके पीछे चलते-चलते तंगड़ी मारकर आगे निकल जाए। कई पार्टियों के छुटभैये नेता इसी फितरत के चलते आगे बढ़ते हैं। जो लोग एक-दूसरे की गलबहियां कियें हों उनकी गारंटी नहीं कल भी साथ-साथ ही बैठेंगे।
आप लोगों की आदत होती है जिसकी थाली में खाओ उसी में छेद कर दो। कोई भला मानुस आपको घर पर खाने के लिये बुलाये और आप खाना-खाने के बाद इंकम टैक्स वालों को और भिजवा दो। नेताओं को चंदा देना हो तो अपने पड़ोसी का पता बता दो। हां जब नेताओं से काम निकलने हों तो उन्हें अपने घर पर बुलाकर तलुवे चाटो। एरिये का थानेदार जब तक पोस्टिंग पर रहे, उसकी जी हजूरी करो। जब थानेदार का तबादला हो जाए तो अपना मोबाइल बंद कर लो । बास का फोन आये तो तुरंत हलो करके मिमियाने लगो। जब किसी फोकटिया का फोन हो तो रांग नम्बर कहकर फोन रख दो।हमारे यहां भी ऐसा होने लगा है। जब पड़ोसी मोहल्ले का दमदार कुत्ता आता है तो सभी दुम हिलाते-हिलाते दूर-दूर चलते हैं। जब अपने मोहल्ले का मरियल कुत्ता भी आता है तो उसे फफेड़ डालते हैं। नेताजी चुनाव हार जाएं तो कोई पूछने वाला भी नहीं बचता। नेताजी मंत्री बन गये तो अड़ोसी-पड़ोसी के चमचे भी रिरियाने लगते हैं।
हम कुत्तों की तरह कुछ इंसान भी फालतू होते हैं। इन लोगों के पास भी सिर्फ अड़ोसी-पड़ोसी की घर में सूंघने के सिबाय कुछ काम नहीं। किसकी कितनी आमदनी है, किसके कितने बच्चे हैं और कौन क्या कर रहा है यह काम आप लोग करते हो। हमारे यहां आप किसी भी कुत्ते से पूछ सकते हैं किसके घर क्या बना है। जैसे आपको जो कमीशन दे दे उसका पता अपने बाप को भी नहीं बताते, ऐसे ही जो हमें रोटी देता है उसका घर नहीं बताया जाता।
जिसके दरवाजे पर आपको कमीशन मिलने की संभावना हो। जिसका नाम लेकर ही आपका काम थाने-चौकी में हो जाए आप उसी नेता के घर के आस-पास मंडराते हो। सुबह हो या शाम, नेताजी को खुश रखने का काम करते हो। जिसकी गाड़ी में दो -चार घंटे बैठने के एवज में दो पैग मिल जाए, थोड़ी सी बोटी खाने को मिल जाए वहीं पर भीड़ भी नजर आती है। अरे आप ही लोग कहते हो, जहां गुड़ होगा वहां चींटे तो आयेंगे ही। हमें भी जहां दो चुपड़ी रोटी मिल जाएं वहीं दुम हिलाते हैं। जिसके यहां ज्यादा अच्छी रोटी मिलेगी वहीं पर खड़े हो जाएंगे, बिल्कुल आपकी तरह। जो नेता ज्यादा अच्छा खिलायेगा उसके यहां खिसक जाएंगे। (क्रमशः)
पंकुल
आप लोगों की आदत होती है जिसकी थाली में खाओ उसी में छेद कर दो। कोई भला मानुस आपको घर पर खाने के लिये बुलाये और आप खाना-खाने के बाद इंकम टैक्स वालों को और भिजवा दो। नेताओं को चंदा देना हो तो अपने पड़ोसी का पता बता दो। हां जब नेताओं से काम निकलने हों तो उन्हें अपने घर पर बुलाकर तलुवे चाटो। एरिये का थानेदार जब तक पोस्टिंग पर रहे, उसकी जी हजूरी करो। जब थानेदार का तबादला हो जाए तो अपना मोबाइल बंद कर लो । बास का फोन आये तो तुरंत हलो करके मिमियाने लगो। जब किसी फोकटिया का फोन हो तो रांग नम्बर कहकर फोन रख दो।हमारे यहां भी ऐसा होने लगा है। जब पड़ोसी मोहल्ले का दमदार कुत्ता आता है तो सभी दुम हिलाते-हिलाते दूर-दूर चलते हैं। जब अपने मोहल्ले का मरियल कुत्ता भी आता है तो उसे फफेड़ डालते हैं। नेताजी चुनाव हार जाएं तो कोई पूछने वाला भी नहीं बचता। नेताजी मंत्री बन गये तो अड़ोसी-पड़ोसी के चमचे भी रिरियाने लगते हैं।
हम कुत्तों की तरह कुछ इंसान भी फालतू होते हैं। इन लोगों के पास भी सिर्फ अड़ोसी-पड़ोसी की घर में सूंघने के सिबाय कुछ काम नहीं। किसकी कितनी आमदनी है, किसके कितने बच्चे हैं और कौन क्या कर रहा है यह काम आप लोग करते हो। हमारे यहां आप किसी भी कुत्ते से पूछ सकते हैं किसके घर क्या बना है। जैसे आपको जो कमीशन दे दे उसका पता अपने बाप को भी नहीं बताते, ऐसे ही जो हमें रोटी देता है उसका घर नहीं बताया जाता।
जिसके दरवाजे पर आपको कमीशन मिलने की संभावना हो। जिसका नाम लेकर ही आपका काम थाने-चौकी में हो जाए आप उसी नेता के घर के आस-पास मंडराते हो। सुबह हो या शाम, नेताजी को खुश रखने का काम करते हो। जिसकी गाड़ी में दो -चार घंटे बैठने के एवज में दो पैग मिल जाए, थोड़ी सी बोटी खाने को मिल जाए वहीं पर भीड़ भी नजर आती है। अरे आप ही लोग कहते हो, जहां गुड़ होगा वहां चींटे तो आयेंगे ही। हमें भी जहां दो चुपड़ी रोटी मिल जाएं वहीं दुम हिलाते हैं। जिसके यहां ज्यादा अच्छी रोटी मिलेगी वहीं पर खड़े हो जाएंगे, बिल्कुल आपकी तरह। जो नेता ज्यादा अच्छा खिलायेगा उसके यहां खिसक जाएंगे। (क्रमशः)
पंकुल
14 टिप्पणियां:
baut acha likha hai
hosle afjai ke liye shukriya
बहुत सही-जारी रहें.
पंकज जी
आपके ब्लॉग पर पहली बार आया.
"हम कुत्तों की तरह कुछ इंसान भी फालतू होते हैं। इन लोगों के पास भी सिर्फ अड़ोसी-पड़ोसी की घर में सूंघने के सिबाय कुछ काम नहीं। किसकी कितनी आमदनी है, किसके कितने बच्चे हैं और कौन क्या कर रहा है यह काम आप लोग करते हो। हमारे यहां आप किसी भी कुत्ते से पूछ सकते हैं किसके घर क्या बना है। जैसे आपको जो कमीशन दे दे उसका पता अपने बाप को भी नहीं बताते, ऐसे ही जो हमें रोटी देता है उसका घर नहीं बताया जाता।"
कुत्तों पर आपने जो रिसर्च कार्य किया है वो तारीफ़ के काबिल है. मज़ा आ गया पढ़ते पढ़ते पेट में बल पड़ गए .आपके ब्लॉग पर अब नियमित आता रहूँगा.
वाह भाई क्या बात हे,इसे कहते कलम की मार, बहुत ही सुन्दर लिखा हे आप ने,
धन्यवाद.
आप के आगरा मे हमारा बचपन बीता हे, ताज गंज मे.
क्या बात है गुरु, बहुत बढिया लिखा है.
कुत्ता पुराण के लिए बधाई। अच्छी लिखी है। धार है।
एक लघुकथा कभी सारिका में पढ़ी थी। आप भी पढ़िए।
एक कुत्ता पागल हो गया। लोगों ने उसे पीट-पीट कर मार डाला। जमादार ने उठाकर उसे कुत्ते के ढेर पर फेंक दिया। थोड़ी देर बाद गली के तमाम कुत्ते कूड़े के ढेर पर जमा हो गए। शोक सभा होने लगी। कुत्तों ने रोष जताया। कहा- कुत्ता आदमी का वफादार सेवक रहा है, फिर भी आदमी का ये बर्ताव आखिर क्यों? किसी ने कहा कि क्या आदमी पागल हो जाता है तो भी क्या ये लोग उसे मार देते हैं। तरह-तरह के विचार, तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आईं। तभी एक कुत्ते ने सवाल किया कि आखिर ये पागल क्यों हो गया? सवाल सुनकर सन्नाटा पसर गया। तभी सन्नाटे को चीरती हुई एक बूढ़े कुत्ते की आवाज गूंजी- वह आदमी की संगत में पड़ गया था।
बेहतरीन हजूर ! बधाई !
कुत्ता पुराण , बड़ा सुंदर लगा ! भोंकवाना चालु रखिये !
शुभकामनाएं !
बहुत सही
jhakas bole to......
आपने बहुत सुंदर लिखा है। बधाई।
सोचा न था की जख्म गहरे होगें।
गहरे हैं तो उन्हे कुरेद भी डालिए।
शेष फ़िर कभी.....
www.kamiyaa.com
करारा व्यंग है।
dhardar
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