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शुक्रवार, 12 सितंबर 2008

अप्रेरक प्रसंगः कपड़ों से फर्क पड़ता है

कुछ समय पहले ही बात है। दास जी अपने सरकारी बंगले के अंतःपुर में विश्राम कर रहे थे। आस-पास चमचों की चटर-पटर रोजाना की भांति ही माहौल को चमचामय बनाने में सफल हो रही थी। प्राचीन समय के इद्रलोक की भांति ही अप्सराएं भी वहां मौजूद थीं। सोमरस का पान करते हुए दास जी इस अति सम्मोहनशाली माहौल को देखकर मंद-मंद मुस्करा रहे थे।
इसी दौरान एक चमचे के मन में कोई शंका पैदा हुई। शंका हो और दासजी उसका समाधान न करें ये असंभव बात है। चमचे ने किंचिंत सोचनीय मुद्रा बनाते हुए प्रश्न किया दास जी आखिर सभी नेता सफेद कपड़े ही क्यों पहनते हैं। प्रश्न बहुत ही गंभीर। चारों ओर सन्नाटा सा पसर गया। सभी चमचे एकटक दास जी के मुंह की ओर टुकुर-टुकुर ताकने लगे। जैसे वहां से वेदवाक्य अब फूटे कि अब फूटे। दास जी की मुद्रा बिल्कुल ऐसे जैसे कभी सूत जी की हुआ करती थी। प्राचीन काल में लोग सूत जी से इसी तरह के प्रश्न किया करते थे।
कुछ क्षण सोचने की मुद्रा के बाद दास जी ने अपना मुंह खोला। बोले चमचे तुमने बहुत ही नेक प्रश्न दागा है। मैं इस प्रश्न का उत्तर जरूर दूंगा। सुनो सफेद कपड़े पहनने के तीन मुख्य कारण हैं।
(1) हमारे समाज में प्राचीन काल से ही कपड़ों के रंग और ढंग का विशेष महत्व रहा है। राजा-महाराजा भी समय और परिस्थितियों के अनुकूल ही वस्त्र धारण करते थे। जब कभी शोक का माहौल होता था सफेद वस्त्र पहने जाते थे। आज जनता गरीब है और हमें हर समय शोक के माहौल में डूबा रहने पड़ता है इसलिए सफेद वस्त्र पहने जाते हैं।
(2)सफेद वस्त्र शांति का प्रतीक है। हमें हमेशा शांत रहकर ही दूसरों के घर में अशांति फैलाना पड़ता है। इसलिए सफेद रंग से बेहतर दूसरा रंग नहीं होता।
(3) सफेद रंग पर कभी भी कोई भी रंग आसानी से चढ़ सकता है। हमारा कोई भरोसा नहीं, सुबह लाल रंग में बैठे हैं तो शाम को केसरिया ओढ़ लिया। कभी हरा रंग नजर आने लगता है तो कभी लाल-हरे-नीले से प्रेम हो जाता है। बालक यही कारण है जब चाहे जो रंग मिले, सफेद पर पर तुरंत चढ़ा लो।
चमचे ये जवाब सुनकर बेहद प्रसन्न हुए, और दास जी वहां से अंतर्ध्यान हो गये।
पंकुल

7 टिप्‍पणियां:

रंजना ने कहा…

bahut bahut badhiya.karara vyangya.

शोभा ने कहा…

अच्छा लिखा है. बधाई.

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप ने बहुत अच्छा लिखा हे ओर सच भी हे

seema gupta ने कहा…

सफेद वस्त्र शांति का प्रतीक है।
"very well said, a interetsing artical to read"

Regards

मीत ने कहा…

maja aa gaya padh kar...
jari rahe

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

क्या बात है भाई.... अच्छा व्यंग्य... निरन्तरता बनाए रखें....

विक्रांत बेशर्मा ने कहा…

बहुत ही ज़बर्दस्त व्यंग है ..