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सोमवार, 28 जुलाई 2008

ये लोग

मैं हंसा तो दुनिया वाले
मुझको गमगीन समझेंगे
जो आंसू झलके आंखों से
को कमजोर कहेंगे
मेरी खामोशी से कम से कम
अफवाहें तो न उड़ेंगीं
लोग मुझे नजरंदाज कर
गुजर जाएं तो भला
मेरी शख्सियत पर लोगों की
अंगुलियां तो न उठेंगी।
पंकज कुलश्रेष्ठ

5 टिप्‍पणियां:

Prabhakar Pandey ने कहा…

लोग मुझे नजरंदाज कर
गुजर जाएं तो भला
मेरी शख्सियत पर लोगों की
अंगुलियां तो न उठेंगी।

बहुत ही बेहतरीन। सटीक और यथार्थ।सुंदरतम विचार को सुंदर शैली में पिरोया है आपने। साधुवाद।

शोभा ने कहा…

अच्छा लिखा है।

vipinkizindagi ने कहा…

bahut achchi hai

Advocate Rashmi saurana ने कहा…

bhut badhiya. likhte rhe.

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा, लिखते रहें.