मैं हंसा तो दुनिया वाले
मुझको गमगीन समझेंगे
जो आंसू झलके आंखों से
को कमजोर कहेंगे
मेरी खामोशी से कम से कम
अफवाहें तो न उड़ेंगीं
लोग मुझे नजरंदाज कर
गुजर जाएं तो भला
मेरी शख्सियत पर लोगों की
अंगुलियां तो न उठेंगी।
पंकज कुलश्रेष्ठ
pankul
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5 टिप्पणियां:
लोग मुझे नजरंदाज कर
गुजर जाएं तो भला
मेरी शख्सियत पर लोगों की
अंगुलियां तो न उठेंगी।
बहुत ही बेहतरीन। सटीक और यथार्थ।सुंदरतम विचार को सुंदर शैली में पिरोया है आपने। साधुवाद।
अच्छा लिखा है।
bahut achchi hai
bhut badhiya. likhte rhe.
बहुत उम्दा, लिखते रहें.
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