फिर निपट लिये रावण जी। आपके सालाना निपटान दिवस पर आपके पुतले खूब धू-धू कर जले। अरे आपको साक्षात निपटाने की तो किसी में हिम्मत है नहीं। आपके पुतले को जलते हुए देखकर ही अपन तो पुरुषार्थ दिखा देते हैं।
भाई दसानन किसी जमाने में आपके दस सिर हुआ करते थे। आपने एक ही भूल की और अपने पूरे खानदान को मरवा दिया। हो सकता है आपकी यह गलती इन दस सिरों की वजह से ही हो गयी हो। अब दस-बारह पार्टियों के नेता सरकार बनाने के बाद भी एक जैसा नहीं सोच सकते तो आपके दस सिर कैसे सोच सकते थे। आपके किसी एक सिर ने सोचा होगा और आपने किडनेपिंग की योजना बना डाली। दूसरे सिर को इतना मौका तो दिया होता कि वो भले-बुरे की सोचता।
लंकाधिपति, आप अपनी सरकार चलाने के लिए कैसे सोचते थे। कम से कम इतना तो कर ही सकते हो कि थोड़ा सा ये गुर भी नेताओं को दे दो। नेताओं को आपने किडनेपिंग का गुर तो सिखा दिया। सीता हरण की तरह महिलाओं के अपहरण में भी निपुण बना दिया। मैंने सुना है आपके दस सिरों में एक सिर विद्वान का था। लगता है राम का वाण लगते ही आपके विद्वान सिर मुक्ति मिल गयी। बाकी बचे नौ सिर हर बार छह नये रूप में पुनर्जन्म लेते रहे। तभी तो आज आपके नौ सिरों के करोड़ों रूप पैदा हो गये। आपने लंका में घर बनाया था। अब तो हर शहर, हर गली में आपके नौ सिरों के अवतार पैदा हो गये हैं। सड़क चलते कब कौन सा रावणावतार प्रकट हो जाए पता नहीं।
जैसे आप वेश बदलने में माहिर थे, वैसे ही आपके अवतार भी हैं। कभी वोट की भिक्षा लेने के लिए घर-घर चक्कर लगाते हैं तो कभी किसी और रूप में।
हे रावण। इतनी शिक्षायें आपने दीं तो कम से कम एक शिक्षा और दे देते। आज के मिलीजुली सरकार के युग में एक सिर ऐसा पैदा कर देते जो कम से कम ढंग से सरकार तो चला लेता। हम आपको हर साल मारते रहेंगे। हर साल गली-मोहल्ले में तुम्हारा जुलूस निकालते रहेंगे जब तक तुम पूरे न निपट लो या हमें न निपटा दो। आपको निपटाने के लिए अभी तो राम जी को भी आने की फुर्सत नहीं दिख रही। यह भी हो सकता है इतने सारे रावणों को निपटाने में अकेले श्रीराम को प्राबलम आ रही हो। खैर, जो भी हो, हम तो इंतजार ही करेंगे।
पंकुल
pankul
ये तो देखें
-
होली का त्यौहार अन्य त्यौहारों से पूरी तरह अलग है। पूरे भारत में जैसे होली मनायी जाती है उससे अलग होती है बृज की होली। बृज में होली के अनेक...
-
अब कभी डायबिटीज को मत कोसना। भगवान हर मर्ज का इलाज पहले कर देता है। चीनी पेट्रोल की कीमत पर हुई तो क्या, डायबिटीज रोगियों की संख्या भी तो बढ...
-
ये बात मुझसे बेहतर कौन जानता है कि कुत्ता आखिर कुत्ता ही होता है। हम लोगों को कुत्ता इसीलिये कहा जाता है क्योंकि हमारी कोई औकात नहीं होती। ...
-
आपने मटर पनीर, कड़ाही पनीर, दम आलू, रोस्टेड चिकन, मटन बिरयानी, मुगलई चिकन, फिश फ्राई, आमलेट, पाव भाजी, चाऊमिन, मसाला डोसा खाया है। बिल्कुल ...
-
भादौं की मस्ती मथुरा में पिछले दिनों छायी रही। जन्माष्टमी के बाद आठ सितम्बर को मथुरा के मंदिरों में कृष्ण प्रिया राधा रानी का जन्मदिवस मना...
-
पुज गये महाशय। सौभाग्य की बात है हर विलुप्त प्राय वस्तु की तरह आपका का भी एक दिन आ ही जाता है। सुबह से इठलाने का आनंद ही कुछ निराला है। शाम...
-
भैये उडन तस्तरी। आपने पुरानी कहावत सुनी है, जो बोले सो कुंडी खोले। अरे पार्टी कार्यालय की कोई समस्या नहीं है इसे आपके यहां बना देंगे। ऐसा भ...
-
एक बहुत पुराना गाना है, रास्ते का पत्थर किस्मत ने मुझे बनाया। अपने धरम पाजी बड़े सेड-सेड मूड में यह गाना गा रहे थे। आज उसी तर्ज पर अपना चीक...
-
यह बहुत पेचीदा प्रश्न हो सकता है कि इंसान प्राचीन चमचा है या कुत्ता। इस प्रश्न का हल भी मुर्गी पहले पैदा हुई या अंडा सरीखा है। हम तो इतना जा...
-
दोस्तों, फोकटियों का मेला शुरू हो गया। अब न रहेगी मंदी और न नजर आयेगी बेरोजगारी। रोजाना दारू पी जाएगी और धड़ल्ले से बेरोजगारी दूर की जाएगी।...
5 टिप्पणियां:
बहुत बेतुकी से आप ने इतना सुन्दर लेख लिख दिया,बहुत ही अच्छा लगा , लेकिन रावण को तो अकल थी, उस ने अपने राज्य मे तो लोगो को खुश ओर सुखी रखा था, ओर आज के रावण इस जनता को ही खा रहै है, कोई रावाण किडनी निकाल रहा है, तो कोई गरीबो का खुन चुस रहा है,कई रावण तो चारा ही चर रहै है, ओर जब भुसा खायेगे तो दिमाग मेभी तो भुसा ही भरा होगा ना :) इस बेतुकी टिपण्णी के लिये माफ़ करना
धन्यवाद
िवजयदशमी पवॆ की शुभकामनाएं ।
अच्छा िलखा है आपने
दशहरा पर मैने अपने ब्लाग पर एक िचंतनपरक आलेख िलखा है । उसके बारे में आपकी राय मेरे िलए महत्वपूणॆ होगी ।
http://www.ashokvichar.blogspot.com
बढिया व्यंग है । सही माने में रावण के ९ सिर बार बार पैदा हो रहे हैं ।
भइये, लेकिन पता नहीं क्यों हमारे निपटाने में ही कुछ कमी रह जाती है शायद, जो हर साल फिर फिर आ धमकते हैं। दरअसल इन्हें अपने दिल से आत्मा से निपटाने की आवश्यकता है। शायद तभी यह पर्व ज्यादा सार्थक हो सके।
bahut hi badiya vyanga hai .... hamare blog par aaye kabhi
एक टिप्पणी भेजें