मेरे शब्द
जिन्हें मैं रचता
सदा नये आकार देता
जिनकी पहचान के लिये
अपने कर्तव्य का पालन करता
वही मेरे अस्तित्व पर
अब अंगुली उठाते हैं
शब्द
जो मेरा दर्पण थे
कोरे कागज पर बिखरकर
मेरी उपस्थिति का आभास
जो हर पल कराते थे
वही मेरे अस्तित्व पर
अब अंगुली उठाते है।
मेरे शब्द।।
पंकज कुलश्रेष्ठ
pankul
ये तो देखें
-
होली का त्यौहार अन्य त्यौहारों से पूरी तरह अलग है। पूरे भारत में जैसे होली मनायी जाती है उससे अलग होती है बृज की होली। बृज में होली के अनेक...
-
अब कभी डायबिटीज को मत कोसना। भगवान हर मर्ज का इलाज पहले कर देता है। चीनी पेट्रोल की कीमत पर हुई तो क्या, डायबिटीज रोगियों की संख्या भी तो बढ...
-
ये बात मुझसे बेहतर कौन जानता है कि कुत्ता आखिर कुत्ता ही होता है। हम लोगों को कुत्ता इसीलिये कहा जाता है क्योंकि हमारी कोई औकात नहीं होती। ...
-
आपने मटर पनीर, कड़ाही पनीर, दम आलू, रोस्टेड चिकन, मटन बिरयानी, मुगलई चिकन, फिश फ्राई, आमलेट, पाव भाजी, चाऊमिन, मसाला डोसा खाया है। बिल्कुल ...
-
भादौं की मस्ती मथुरा में पिछले दिनों छायी रही। जन्माष्टमी के बाद आठ सितम्बर को मथुरा के मंदिरों में कृष्ण प्रिया राधा रानी का जन्मदिवस मना...
-
पुज गये महाशय। सौभाग्य की बात है हर विलुप्त प्राय वस्तु की तरह आपका का भी एक दिन आ ही जाता है। सुबह से इठलाने का आनंद ही कुछ निराला है। शाम...
-
भैये उडन तस्तरी। आपने पुरानी कहावत सुनी है, जो बोले सो कुंडी खोले। अरे पार्टी कार्यालय की कोई समस्या नहीं है इसे आपके यहां बना देंगे। ऐसा भ...
-
एक बहुत पुराना गाना है, रास्ते का पत्थर किस्मत ने मुझे बनाया। अपने धरम पाजी बड़े सेड-सेड मूड में यह गाना गा रहे थे। आज उसी तर्ज पर अपना चीक...
-
यह बहुत पेचीदा प्रश्न हो सकता है कि इंसान प्राचीन चमचा है या कुत्ता। इस प्रश्न का हल भी मुर्गी पहले पैदा हुई या अंडा सरीखा है। हम तो इतना जा...
-
दोस्तों, फोकटियों का मेला शुरू हो गया। अब न रहेगी मंदी और न नजर आयेगी बेरोजगारी। रोजाना दारू पी जाएगी और धड़ल्ले से बेरोजगारी दूर की जाएगी।...
3 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया है भाई. बधाई.
शब्द
जो मेरा दर्पण थे
कोरे कागज पर बिखरकर
मेरी उपस्थिति का आभास
जो हर पल कराते थे
वही मेरे अस्तित्व पर
अब अंगुली उठाते है।
बहुत सुन्दर और प्रभावी लिखा है।
.....बहुत बढ़िया है.
एक टिप्पणी भेजें